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मुक्त सदा चमत्कार दीक्षा का प्रेम-परमार्थ का भाव मिल जुलकर सावन पुत्र स्वार्थ ब्रह्मांड देश-काल-परिस्थिति अनुरूप सच्चे प्रियजन उत्कृष्ट परंपराओं मंजिल ही जीती जाती hindikavita परिष्कृत रूप परमार्थ प्रफुल्लित रहें भाव स्वार्थ का जहरीला

Hindi भाव सदा परमार्थ का Poems